Tuesday, December 21, 2010

‘लीड इंडिया पब्लिशर्स एसोसिऐशन’ से जुडने हेतु आमंत्रण पत्र


प्रिय प्रकाशक बन्धु,
आजादी के बाद अन्य क्षेत्रों व उद्योगों की तरह ही विकसित हो रहे अखबार जगत को भी कई जटिल समस्याओं का सामना करना पड़ा। किसी भी अखबार की स्थापना जनहित के लिए की जाती है। प्रकाशक का उद्देश्य जनता से जुडे मुद्दों को उठाना होता है, लेकिन इस दूरूह कार्य के दौरान जनता की आवाज उठाते-उठाते प्रकाशक को कई बार अपनी ही आवाज घुटती हुई नजर आती है। खासतौर से उनकी जो नए व कम प्रसार संख्या वाले समाचार पत्र के प्रकाशक हैं। उन्हें हर बार उनके कार्य के स्थान पर प्रसिद्धी और प्रसार (सर्कुलेशन) के आधार पर आंका जाता है। परंतु अखबार चाहे एक निकले या एक लाख उसके लिए कार्य उतना ही करना होता है। प्रकाशक की भावना और उद्देश्य वही होता है, फिर कम प्रसार वाले अखबारों\प्रकाशकों के साथ भेदभाव क्यों?

अखबार प्रकाशकों की सबसे बड़ी समस्या आर्थिक संकट है। अखबार में आय का स्रोत केवल विज्ञापन होता है। परंतु सरकार द्वारा दिए जाने वाले विज्ञापनों का निर्धारण कई ऎसे मापदंडो पर आधारित होता है जिसको पूरा करने के लिये सम्बन्धित अधिकारियों की विशेष कृपा व प्रसार संख्या मे हेरफेर के अलावा कोई अन्य विकल्प नही बचता।

दूसरी तरफ प्रकाशक को छोटे बड़े के आधार पर कई बार अपनी बिरादरी में ही सम्मान नहीं मिल पाता। प्रकाशक अकेले अपमान के दंश और समस्याओं से जूझता रहता है, क्योंकि प्रकाशक अलग ईकाईयों में काम कर रहे हैं। वो जनहित के लिए बात करने में खुद को सहज महसूस करता है परंतु अपनी बारी आने पर बड़ा असहाय महसूस करता है उसके पास ऐसा कोई एक उपयुक्त मंच नहीं है जहां वो अपनी आवाज उठा सके।

आज भारत में प्रत्येक प्रकार के व्यापार, रोजगार व जनहित में संलग्न संगठनों को प्रोत्साहन दिया जाता है। लेकिन अखबार के साथ दुर्भाग्य है कि एक प्रकार से सामाजिक संगठन होते हुए भी उसे सरकारी या गैर सरकारी प्रोत्साहन या आर्थिक सहायता नहीं मिलती। यदि उसे किसी कार्पोरेट घराने का सहयोग मिले तो जनहित के मुद्दो को स्वतंत्रता से रख पाने पर प्रश्नचिन्ह लग जाता है।

सरकार द्वारा प्रदान की जा रही विज्ञापन के रुप मे सहायता मात्र मृगतृष्णा साबित होती है। हद तो यह है की ऎसी मृगतृष्णा के लिए भी दोहरे मापदण्ड स्थापित हैं।

जब तक संर्घषरत समाचार पत्रों को महत्व नहीं दिया जाएगा वह अपना अस्तित्व बचाने के लिए संर्घष करते रहेंगे जिसमें उनकी काफी उर्जा खत्म होगी।

यही वजह की प्रकाशकों को एक मंच पर एकत्रित व संगठित करने के लिए लीड इंडिया पब्लिशर्स एसोसिऐशनकी स्थापनाकी गई है। यह एक गैर सरकारी संगठन है जिसका मुख्य उद्देश्य प्रकाशकों को एक मंच पर एकत्रित करना है।


लीड इंडिया पब्लिशर्स एसोसिऐशन (लीपा) लीड इंडिया ग्रुपका एक विजनरी प्रयास है। लीड इंडिया ग्रुप इस विषय पर कई महीनों से अध्ययन कर रहा था। व्यापक अध्ययन व शोध के बाद लीड इंडिया ग्रुपके संस्थापक व प्रकाशक होने के नाते मैने कई अन्य प्रकाशक बंधुओं से उनकी राय व समस्याओं को जाना। और इसके उपरांत  हमने लीड इंडिया पब्लिशर्स एसोसिऐशन’ (लीपा) का गठन करने का निश्च्य किया।

लीपा का उद्देश्य प्रकाशकों की समस्याओं का समाधान व प्रगति करने में सहायता करना है। लीपा अलग-अलग ईकाई की तरह कार्य कर रहे समाचारपत्र-पत्रिका के प्रकाशकों को एक समूह के रूप में जोड़ना चाहता है ताकि जब वो किसी मुद्दे को उठाएं तो उसे सशक्त आवाज की तरह सुना जा सके।

'लीड इंडिया पब्लिशर्स एसोसिऐशन' समाचारपत्र-पत्रिका प्रकाशकों को हरसंभव सहायता करने के लिए दृढ़ संकल्पित है। इसके लिए प्रकाशकों के सामने आने वाली बुनियादी समस्याओं से निपटने के लिए लीड इंडिया पब्लिशर्स एसोसिऐशन की ओर से निम्नलिखित सहायता प्रदान की जाएंगी।

1. तकनीकी सहायता:
संचार क्रांति के युग में तकनीक से किनारा नहीं किया जा सकता। परंतु प्रत्येक समाचारपत्र-पत्रिका प्रकाशक के पास प्रत्येक तकनीकी जानकारी हो यह संभव नहीं। कई बार मामूली तकनीकी समस्या के चलते प्रकाशन पर व्यापक असर पड़ता है। अत: लीपा अखबार निकालने में होने वाली तकनीकी समस्याओं (कंप्यूटर संबधित) से निपटने में हरसंभव सहायता प्रदान करेगा। यह सहायता रिमोट असिसटेंट द्वारा प्रदान की जाएगी।

2. दस्तावेजी सहायता:
समाचारपत्र-पत्रिका प्रकाशकों के लिए पूर्व स्थापित और निरंतर कड़े हो रहे सरकारी कानून बड़ी बाधा के रुप मे सामने आ रहा हैं। इसके लिए 'लीड इंडिया पब्लिशर्स एसोसिऐशन' प्रत्येक प्रकार की डॉक्युमेंट्री जानकारी व सहायता देने के लिए तत्पर रहेगा।

3. परामर्श:
कई बार समाचारपत्र-पत्रिका प्रकाशक जानकारी के अभाव में विज्ञापन अथवा अन्य लाभों से वंचित रह जाते हैं। अत: समय समय पर लीपा अपने सदस्यों को ऐसी सभी जानकारी मुहैया कराती रहेगी।

4. ऑडिट सहायता:
एनुअल रिटर्न व अखबार के ऑडिट के दौरान कई प्रकार की समस्याएं आती हैं। लीपा कम से कम खर्च पर चार्टर्ड एकाउंटेंट की सेवा उपल्ब्ध कराएगा। ताकि सभी प्रकार की वित्तीय सलाह मिले व संबंधित कागजात समय पर पूरे कराए जा सकें।

5. कार्यालय सुविधा:
लीड इंडिया पब्लिशर्स एसोसिऐशन’ (लीपा) देश की राजधानी दिल्ली में एक भव्य भवन का निर्माण कराने की योजना पर कार्य कर रहा है। इस भवन में लीपा के सदस्यों को चैंबर दिया जाएगा।

6. विज्ञापन एवं विपणन (मार्केटिंग) हेतु सहायता:
लीड इंडिया पब्लिशर्स एसोसिशन के समक्ष एक स्पष्ट कार्ययोजना है जिसके माध्यम से लीपा अपने सदस्यों के लिए नियमित विज्ञापन दिलवाने की दिशा में अंतिम चरण में कार्य कर रही है। इस योजना के अंतर्गत प्रकाशन हेतु सभी सदस्यों के लिए एक नियमित आय विकसित हो सकेगी।

लीड इंडिया पब्लिशर्स एसोसिऐशन”  की सदस्यता नि:शुल्क है। सदस्य होने के लिए प्रकाशक होने की पात्रता अनिवार्य है। लीपा के सभी सदस्यों की सूची लीड इंडिया पब्लिशर्स एसोसिऐशन” (लीपा) की वेबसाईट  www.lipa.co.in पर जारी की जायेगी। इस वेबसाईट के माध्यम से लीपा सदस्य एक दूसरे के साथ सम्पर्क कर सकेंगे। आपसे आग्रह है कि सदस्यता फार्म मे ईमेल पते का उल्लेख अवश्य करें। भविष्य मे आपको सभी व्यक्तिगत जानकारी ईमेल के द्वारा ही दी जायेंगी।

नोट: असुविधा से बचने के लिए सदस्यता फार्म में उल्लेखित नियमों के अनुसार ही सदस्यता फार्म भरें। किसी भी प्रकार के सहायता के लिए 011-43015161, 011-22431807  पर संपर्क करें।

प्रकाशक बंधु हम सभी ने जनहित में कार्य करने के लिए समाचार पत्र का प्रकाशन शुरू किया है। वर्तमान परिस्थितियों को देखते हुए अपनी आवाज को सशक्त मंच देने के लिए हमें एक मंच पर एकजुट होना आवश्यक है। अत: आपसे आग्रह है कि लीपा का सदस्य बने और पत्रकारिता के भविष्य को मजबूत बनाने में अपनी रचनात्मक भूमिका निभाएं।
धन्यवाद
सुभाष सिंह
अध्यक्ष:लीड इंडिया पब्लिशर्स एसोसिऐशन’ (लीपा)
संस्थापक व प्रकाशक:लीड इंडिया ग्रुप

Email: editor@leadindiagroup.com